बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य
अध्याय - 7
प्लेटो, रूसो, पोलो फ्रेरे एवं जॉन डी.वी.
(Western Educational Thinkers :
Plato, Rousseau, Paulo Freire and John Dewey)
प्लेटो
प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्लेटो के शैक्षिक विचारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
2. प्लेटो के अनुसार शिक्षा के कार्य बताइए।
3. प्लेटो के शैक्षिक कार्यक्रम का उल्लेख कीजिए।
अथवा
प्लेटो के अनुसार शिक्षा के स्तर क्या है ?
उत्तर -
(Principles of Education According to Plato)
प्लेटो ने तत्कालीन सामाजिक परम्पराओं और मान्यताओं के अनुरूप हमें आदर्शवादी शिक्षा-व्यवस्था दी। परन्तु यह शिक्षा-व्यवस्था जिन सिद्धान्तों पर आधारित है वे व्यावहारिक न थे और न है। फिर भी यह शिक्षा अपने में महानता, लिए है। प्लेटो ने व्यक्ति और समाज दोनों को महत्त्व दिया। वह शिक्षा द्वारा दोनों की समस्याओं को हल करना चाहता था। व्यक्ति और समाज उसके अनुसार एक-दूसरे के पूरक है। दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
प्लेटो की शिक्षा-व्यवस्था में निम्नलिखित बातें प्रमुख मानी जा सकती हैं-
1. उसने यूनानी विचारकों की समस्याओं को स्पष्ट करने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त अपनाये।
2. उसका शिक्षा सम्बन्धी दर्शन सभी कालों तथा देशों में प्रेरणादायी है।
3. उसने अपने समय की यूनानी सभ्यता की आलोचना की और उसे सुधार का शिक्षा में महत्त्व दिया।
4. उसके शिक्षा - सम्बन्धी विचार ऐतिहासिक महत्त्व के हैं। उससे पता चलता है कि सभी कालों में हुए मानव विकास को एक क्रम और सूत्र में पिरोया जा सकता है।
प्लेटो की पुस्तक 'रिपब्लिक और लॉज में जो संवाद दिए हैं वे उसके वे उसके शिक्षा-सिद्धान्तों को अभिव्यक्ति करते हैं। वह अपनी रिपब्लिक में आदर्श राज्य की कल्पना करता है और उसके विकास के लिए आदर्श - शिक्षा को आवश्यक समझता है। उसकी दृष्टि से राज्य, समाज और व्यक्ति के विकास के लिए सर्वोत्तम साधन शिक्षा है। राज्य का प्रमुख उत्तरदायित्व है कि वह व्यक्ति और समाज की आवश्यकतानुसार आदर्श शिक्षा की व्यवस्था करे। उसने प्रचलित राज्य में कमियाँ ही कमियाँ देखीं। राज्य की ऐसी दशा से उसे भारी क्षोभ था। प्लेटो के अनुसार, शिक्षा की व्यवस्था करना राज्य का काम था, कुटुम्ब का नहीं शिक्षा की योजना प्रस्तुत करता था। ये ही शिक्षा-सम्बन्धी राज्य के कर्त्तव्य हैं और शिक्षा-सिद्धान्तों का स्पष्टीकरण उसने अपनी पुस्तक 'रिपब्लिक' में दिया है।
प्लेटो राजनीति को दर्शनशास्त्र और शिक्षा के माध्यम से विकसित करना चाहता था। वह कहता था कि राज्य का सबसे पहला कर्त्तव्य नागरिकों के लिए उपयुक्त शिक्षा की व्यवस्था करना है।
प्लेटो अपनी शिक्षा को नैतिक आधार देता है। वह अपने शिक्षा-सिद्धान्तों को चार भागों में बाँटतां
(1) योग्यता (Ability),
(3) सेवा (Service), तथा
(2) ज्ञान (Knowledge),
(4) राजनीतिज्ञता (Diplomacy)।
हमें अपने अनुभव नवयुवकों को अवश्य बताने चाहिये। यह काम शिक्षा कर सकती है। इसलिए वह 'लॉज' में कहता है-
" जब बालक यह भली प्रकार नहीं जानता किं दुःख, सुख, मित्रता और घृणा क्या है, उस समय बालकों की नैसर्गिक प्रवृत्तियों को अच्छी आदतों की ओर ले जाये, उसे ही मैं शिक्षा मानता हूँ। शिक्षा के फलस्वरूप बालकों में विवेक जागे जिससे वे विश्व की सभी वस्तुओं तथा आत्मा में एक सामंजस्य का अनुभव करें। यही सामंजस्य सच्चा गुण है।"
बालक को मिली शिक्षा तभी सच्ची मानी जा सकती है जब बालक घृणा योग्य वस्तु से घृणा और प्रेम करने योग्य वस्तु से प्रेम करना सीख जाए।
इस प्रकार प्लेटो शिक्षा-सिद्धान्तों में गुण को प्रधानता देता है। इसे ही वह जगत का सार मानता है। वह कहता था कि 'गुण' एक ज्ञान नहीं है। यह तो एक दैवीय देन है। इसे शिक्षा द्वारा अर्जित नहीं किया जा सकता। व्यक्ति शिक्षा द्वारा गुण की खोज करना सीखे। वह कहता है क्या गुण है और क्या अवगुण, है इसका पता आनन्द और पीड़ा के अनुभवों से पता लगा सकते हैं। जिसे प्राप्त करने से अपार आनन्द हो वह गुण है और जिसे पाने से पीड़ा हो वह अवगुण है। हम उस कार्य को बार-बार करते हैं जिससे आनन्द आता है और जिससे हमें पीड़ा होती है, हम उसे करना पसन्द नहीं करते। इस प्रकार आनन्द की सहायता से हम बालक में गुण पैदा कर सकते हैं तथा पीड़ा के माध्यम से उसके अवगुण या बुराइयाँ दूर कर सकते हैं।' प्लेटो के अनुसार, शिक्षा वह है जो बालक (विद्यार्थी) में विवेक उत्पन्न करती है। यही विवेक बालक के व्यक्तित्त्व को प्रभावित करके विवेकपूर्ण कार्य करने को विवश करता है। इसीलिये 'लॉज' में प्लेटो ने लिखा है-
“शिक्षा का लक्ष्य युवकों को राज-नियम द्वारा उस मार्ग की ओर ले जाना है, जिसे वयोवृद्ध, ज्ञान वृद्ध और अनुभव वृद्ध व्यक्तियों ने निर्धारित किया है।"
माता, पिता और शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वे अपना पूर्ण सहयोग दें।
(Plato and Functions of Education)
प्लेटो आदर्शवादी दार्शनिक होने के कारण 'साध्य' को साधन से अधिक महत्त्व देता था। उसका सिद्धान्त था कि बालक को पूर्ण से अंश की ओर (From whole to the part) का सिद्धान्त अपनाते हुए सिखाया जाए। उसके लिये राज्य, व्यक्ति से ऊँचा था और वह शिक्षा द्वारा राज्य की एकता लाना चाहता था। प्लेटो व्यक्ति का विवेक जगाकर उसे समाजहित और राज्यहित के कार्यों में लगाना चाहता था। वह चाहता था कि सब एक हों और सब राज्य की उन्नति में लगें। इसलिए वह शिक्षा द्वारा ऐसे आदर्श नागरिक तैयार करना चाहता था जो राज्य की उन्नति और एकता में सहायक हों। उसके अनुसार सहनशीलता, सहयोग, सद्भाव, साहस, सैनिक योग्यता और शासन-व्यवस्था को समझकर उसे ठीक ढ़ंग से चलाने की योग्यता ही आदर्श नागरिकता के गुण थे। ये सभी गुण विवेक द्वारा आ सकते हैं, जिन्हें अच्छी शिक्षा की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
शिक्षा द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्त्व में सम्पूर्णता और संतुलन हों तथा शरीर, मस्तिष्क दोनों सामंजस्य से पूर्ण हों तो प्लेटो के अनुसार, नागरिकता चरित्रवान और नैतिक बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्य-नियम बनाने की अधिक आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रकार की शिक्षा नागरिकों में बन्धुत्व, आनन्द, सहयोग और एकता का भाव लायेगी। इसी दृष्टिकोण को लेकर वह अपनी पुस्तक 'लॉज' में लिखता है
" सच्ची शिक्षा से लोगों में सौहार्द्र की भावना आयेगी। यद्यपि मनुष्य सर्वोच्च सभ्य प्राणी है, फिर भी उसे अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है। यदि उसे शिक्षित न किया जाये तो वह विश्व का सबसे अधिक बर्बर (असभ्य) प्राणी बन जायेगा।"
(Forms and Programme of Education according to Plato)
प्लेटो के अनुसार, शिक्षा का बाह्य रूप शिक्षा नहीं है, अपितु शिक्षा की आत्मा में बसा 'सत्य' ही शिक्षा है जिसे खोजना ही शिक्षा का कार्य है।
प्लेटो मूल रूप से दो प्रकार की शिक्षा चाहता था। पहली वह शिक्षा जो सर्व सामान्य के लिए थी, जिससे लोग किसी-न-किसी व्यवसाय के योग्य बनते थे- उसमें योग्य नागरिकता के गुण भी आते थे। दूसरी शिक्षा का प्रकार उपयुक्त व्यक्तियों को राज्य की सेवा और प्रशासन चलाने के लिए दी जाती थी। वह पहली शिक्षा को निम्न कोटि की और अनुदार शिक्षा मानता था। इस शिक्षा के व्यक्ति में न्याय विवेक नहीं जाग्रत होते हैं। दूसरी शिक्षा व्यक्ति में विवेक जाग्रत करके उसे राज्य के योग्य बनाने वाली थी। इसे वह उच्चकोटि की शिक्षा मानता था।
(Programme of Education)
प्लेटो के अनुसार शिक्षा कार्यक्रम शिक्षा के स्तर निम्नलिखित हैं-
1. जन्म से छ: वर्ष की आयु तक प्लेटो जन्म से छ: वर्ष की आयु तक शारीरिक विकास की शिक्षा देना चाहता है। इस अवस्था में बालक स्वस्थ रहे और अच्छी आदतें अपनाये। पहले तीन वर्षों तक पालन-पोषण इस प्रकार हो कि वह अधिक आनन्द या पीड़ा का अनुभव न करे। इस समय बालक में विवेक नहीं होता और वह मन के अनुकूल आचरण करता है। इस समय बालक को भयभीत न किया जाए। तीन वर्ष की आयु के बाद छः वर्ष की आयु तक बालक को आनन्द और पीड़ा का अनुभव कराया जाये। इससे बालक में साहस और आत्मानुशासन के गुण जाग्रत होंगे। इस समय बालक को रोचक शैली द्वारा राष्ट्रीय कथाओं के रूप में संस्कृति और परम्पराओं का ज्ञान दिया जाये।
प्लेटो के ये विचार आधुनिक मनोविज्ञान में भी दिखायी पड़ते हैं। जब बालक छ: वर्ष का होने लगे- तो उसकी शिक्षा अपेक्षाकृत दृढ़ होनी चाहिए। उसे संगीत, नृत्य, काव्यं, कला तथा सैन्य शिक्षा दी जानी आवश्यक है। प्लेटो इसी संगीत और नृत्य के माध्यम से धार्मिक शिक्षा देना भी आवश्यक समझता है। बालकों को घुड़सवारी, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, हथियार चलाना आदि की शिक्षा दी जाये। खेलों के माध्यम से बालकों में सौहार्द्र और न्याय उत्पन्न करने के प्रयास किये जायें। इस समय बालकों को प्रारम्भिक गणित भी सिखाना आवश्यक है।
2. छः से तेरह वर्ष की आयु में शिक्षा - इस समय बालकों के लिए खेलों की विशेष व्यवस्था होनी चाहिए। पहले तो बालकों को पढ़ना, लिखना, गाना, नृत्य करना, कलात्मक कार्य करना, अंकगणित, रेखागणित और धार्मिक सिद्धान्त सिखाना तथा शिष्टाचार की शिक्षा देना आवश्यक है। इसके बाद बालकों को उनकी रुचि के विशेष खेल खिलाये जायें।
3. तेरह से सोलह वर्ष की आयु में शिक्षा - प्लेटो के अनुसार, इस आयु में बालकों और बालिकाओं को धार्मिक भजन, राष्ट्रीय कवितायें संगीतात्मक प्रणाली से गाने का अवसर दिया जाये। वह चाहता था इस समय बालकों में तर्क शक्ति का अच्छा विकास हो। इसलिए वह बालकों के अंकगणित सिखाने पर बल देता है।
4. सोलह से बीस वर्ष की आयु में शिक्षा- इस समय प्लेटो बालकों और बालिकाओं को - शारीरिक शिक्षा, सैन्य शिक्षा, उन्नत प्रकार के व्यायाम, खेल-कूद का अभ्यास कराने पर बल देता है। सैन्य शिक्षा जैसे घुड़सवारी, हथियार चलाना आदि केवल लड़कों को ही सिखाये जायें। साहित्यिक शिक्षा बिल्कुल न दी जाये, केवल योग्य सैनिक बनाने पर बल दिया जाये।
5. बीस से तीस वर्ष की आयु में शिक्षा- इस आयु में युवकों को जो विज्ञान में रुचि और क्षमता रखते हैं, दस वर्षीय वैज्ञानिक पाठ्यक्रम दिया जाये। इससे पहले युवकों और युवतियों को विज्ञान का साधारण ज्ञान देना आवश्यक है। इससे वे वैज्ञानिक, दृष्टिकोण अपनाकर वस्तुओं के पारस्परिक सम्बन्ध को स्थापित करना और जानना सीख लेंगे।
6. तीस से पैंतीस वर्ष की आयु में शिक्षा - जो स्त्री-पुरुष प्रशासन की क्षमता और रुचि रखने वाले हों, उन्हें दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, व्याख्यान देना, आधार - शास्त्र, मनोविज्ञान और ज्ञान - शास्त्र का शिक्षण दिया जाये।
7. पैंतीस से पचास वर्षों की आयु में शिक्षा- जब योग्य प्रशासकों की आयु पैंतीस वर्ष हो जाये तो उन्हें उच्च प्रशासक नियुक्त कर दिया जाये और पचास वर्ष की आयु होते ही सेवा-निवृत्त कर दिया जाये।
8. पचास वर्ष से अधिक आयु में शिक्षा - पचास वर्ष की आयु से सेवा-निवृत्त होकर व्यक्ति को अपना जीवन सत्य की खोज और समाज सेवा में लगाना चाहिए। तभी जीवन सार्थक होगा।
|
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
- प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
- प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
- प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
- प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
- प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
- प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
- प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )